बागपत। महिलाओं का हाथ पड़ते ही अब मिट्टी सोना बनेगी। धरती मैया की सेहत भी सुधरेगी। आमदनी बढ़ेगी और नारी शक्ति की कद्र भी। पुरुष का वर्चस्व टूटेगा, क्योंकि खेती की कमान महिलाएं संभालेंगी। इंतजार भी ज्यादा नहीं करना होगा, क्योंकि इसके लिए गांव-दर-गांव सुपर- 30 वुमेन तैयार की जाएंगी। पहले इन्हें ट्रेनिंग मिलेगी, फिर ये ट्रैक्टर की स्टेयरिंग थामकर खेत की जुताई और सपनों की बुवाई कर खुशहाली की फसल काटेंगी। यानी पीएम मोदी के कषि आमदनी दोगुनी करने के विजन को अंजाम तक पहुंचाने में सफलता की कहानी गढ़ेंगी बागपत कृषि प्रधान जिला है, लेकिन खेती में महिलाओं की जिम्मेदारी बदत कम है। अब कषि विभाग ने खेती में महिलाओं की भागीदारी बढाने की सकारात्मक पहल की है। आत्मा योजना में बागपत की खेती में बदलाव लाने को तमाम कामों के साथ महिलाओं को खेती से जोड़कर स्वावलंबी बनाना प्लान में शामिल किया है। प्रत्येक ब्लाक में पांच स्कूल खोले जाएंगे। इस तरह जिले के छह ब्लाक में कुल 30 फार्मर स्कूल खुलेंगे। जिले के छह ब्लाक के तीस गांवों से उन 900 महिलाओं का चयन किया जाएगा, जिनकी खेती में दिलचस्पी है।कृषि विशेषज्ञ, वैज्ञानिक और प्रगतिशील किसान चयनित महिलाओं को कम जमीन में कम लागत से खेती कर ज्यादा उत्पादन पाने के गुर सिखाएंगे। इन विशेष स्कूलों में मिट्टी की जांच, रासायनिक उर्वरकों के इस्तेमाल, फसल चक्र में बदलाव, खेती में विविधता लाकर गन्ना व गेहूं के अलावा फल-फूल व सब्जियां पैदा कर ज्यादा आमदनी पाने की ट्रेनिंग मिलेगी चयनित महिलाओं को इस हद तक तैयार करने की योजना है कि वे परिस्थितियां और बाजार का रुख भांपकर खेती करने लगें। किस फसल का उत्पादन कम या ज्यादा है और बाजार में डिमांड कैसी रहेगी? यह समझ विकसित की जाएगी, ताकि उपज का दाम अच्छा मिले ।कृषि विभाग का महिलाओं को ट्रेनिंग दिलाने तथा खेती में बदलाव लाने पर 1.20 करोड़ रुपये खर्च करने की योजना है। जब सुपर-30 वुमेन खेती में सफलता का झंडा गाड़ेंगी तो फिर गांव की दूसरी महिलाओं को भी बदलाव की प्रेरणा मिलेगी। पुरुषों को भी सहारा मिलेगा, क्योंकि उनके कंधों से खेती का बोझ कुछ कम होगा। बागपत में 1.110 लाख हेक्टेयर जमीन पर खेती होती है।
सुपर-30 वुमेन मिट्टी को बनाएंगी सोना