लखनऊ। गैरसंवैधानिक नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ पिछले 67 दिनों से घंटाघर/उजरियांव लखनऊ पर चल रहे महिलाओं के आंदोलन ने कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए शहीद भगत सिंह को याद करते हुए अपने-अपने दुपट्टे और सामान यथास्थिति छोड़कर साफ किया कि धरने को सांकेतिक विरोध के रूप जारी रखेंगी। प्रेस वार्ता को अज़रा, उरूसा राणा, सना, शहर फातिमा, अरसी खान, सना हाशमी, नजमा हाशमी और नुजहत ने संबोधित किया। उन्होंने बताया कि उनके लिखे पत्र पर पुलिस कमिश्नर ने आश्वासन दिया है कि इस आपदा के खत्म होते ही हम लोकतांत्रिक विरोध जारी रखेंगे। कोरोना के प्रकोप को देखते हुए घंटाघर समेत पूरे देश में सीएए आंदोलन के दौरान गिरफ्तार लोगों को तत्काल रिहा किया जाए। हम हर लड़ाई में देश के साथ खड़े हैं चाहे वो लड़ाई संविधान को बचाने की हो या कोरोना को भगाने की। महिलाओं ने शहीद दिवस पर भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु को याद करते हुए कहा कि हमारे पूर्वजों ने ये मुल्क अपने खून से सींचा है जाने कितनी रानी लक्ष्मीबाई, झलकारीबाई, फातिमा, सावित्री फुले, बी अम्मा, बेगम हजरत महल ने इस देश के लिए अपना खून दिया है हमने इंकलाब उन्हीं से सीखा है और आज उनके दिखाए रास्ते पर चलते हुए हम अपने दुपट्टे घन्टाघर/उजरियांव धरना स्थल पर छोड़कर जा रहे हैं। देश से जब कोरोना का संकट खत्म हो जायेगा वापस आयेंगे और इस गैरसंवैधानिक नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ लड़ाई फिर से सड़क पर ही लड़ी जायेगी। महिलाओं ने प्रशासन से सांकेतिक विरोध में सहयोग की अपील करते हुए चेतावनी भी दी है यदि उनके सांकेतिक विरोध से छेड़छाड़ की गयी तो वो उससे ज्यादा तादाद में आयेंगी। महिलाओं ने एक पत्र प्रशासन को भी दिया है जिसमें साफ लिखा है कि हम धरना- स्थल से जा रहे हैं विरोध बन्द नहीं कर रहे हैं बस विरोध का तरीका बदल रहे हैं। प्रशासन उनके सांकेतिक धरने मे सहयोग करे।
कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हए घंटाघर/उजस्यिांवा की महिलाएं अब जारी रखेगी सांकेतिकविरोध